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उत्तर प्रदेश पुलिस

सोशल मीडिया भारत के शहरों में ही नहीं बल्कि गाँवों में भी अपने पाँव पसार चुका है. सोशल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए भारत के अधिक जनसंख्या वाले राज्य - उत्तर प्रदेश में पुलिस ने अनूठी स्कीम शुरू की और WhatsApp का इस्तेमाल कम्यूनिटी पुलिसिंग (सामुदायिक पुलिसिंग) के लिए करना शुरू किया.

“WhatsApp की मदद से जल्द निर्णय लेने और हमारे प्रयासों को लागू करने में मदद मिली है.”

यू.पी. पुलिस द्वारा WhatsApp का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, इसके बारे में पुलिस डायरेक्टर जनरल (DGP) ओ.पी. सिंह बताते हैं कि “राज्य में 1465 पुलिस थाने हैं और सभी थानों का अपना WhatsApp ग्रुप है जिनमें स्टेशन हाउस ऑफ़िसर (SHO) शामिल हैं. हमारा WhatsApp ग्रुप भी है जिसमें हमारे जिला जनसंपर्क अधिकारी (PRO) और सोशल मीडिया सेल शामिल हैं और अन्य ग्रुप में सभी जिला पुलिस अधिकारी, सभी एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) और सभी इंस्पेक्टर जनरल (IG) शामिल हैं. ग्रुप्स बनाने से हमें निर्णय लेने और हमारे प्रयासों को लागू करने में मदद मिली है.”

आज राज्य में लगभग 3,50,000 डिजिटल वॉलंटियर हैं जो कि WhatsApp के माध्यम से यू.पी. पुलिस अधिकारियों से कनेक्टेड रहते हैं.

इन ग्रुप्स के माध्यम से पुलिस आम लोगों से आसानी से जुड़ी है. पुलिस टेक्निकल सर्विसेस के एडिशनल सुपरिन्टेंडेंट राहुल श्रीवास्तव बताते हैं, “हाल ही में एटा जिले में एक लड़की लापता हो गई थी. यह खबर वॉलंटियर्स के WhatsApp ग्रुप में भेजी गई. ग्रुप का एक सदस्य गाँव का प्रधान था जिसने उस लड़की को घर वापस लाने में हमारी मदद की.” राहुल विभाग के सोशल मीडिया इंचार्ज भी हैं.

ग्रुप्स झूठी खबरों और अफ़वाहों को रोकने में भी मदद करता है. हालिया लोकसभा चुनावों में यू.पी. पुलिस ने केन्द्रीय WhatsApp नंबर लॉन्च किया था जहाँ लोग चुनाव संबंधी किसी भी अफ़वाह की जानकारी दे सकते थे. यू.पी. पुलिस के विशेष सेल ने खबर को वेरिफ़ाई किया और उसका सही वर्शन लोगों के सामने रखा. 11 मार्च 2019 से 23 मई 2019 के बीच इस नंबर पर कुल 2,372 संदेश भेजे गए थे.


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