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WeSpeakOut (वी स्पीक आउट)


भारत के बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना या फ़ीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) किया जाना प्रचलित है. जैसे ही लड़कियाँ सात साल की होती हैं, उन्हें बिना बताए उनका खतना कर दिया जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से महिलाओं में यौन इच्छाएँ जागृत नहीं होतीं.

लगभग दस लाख बच्चियाँ और महिलाएँ खतना से पीड़ित हैं और अगर कोई इस प्रथा का विरोध करता है, तो उसे समाज से निकाल दिया जाता है. इस डर से किसी ने इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ अब तक आवाज़ नहीं उठाई थी, लेकिन अब 51 वर्ष की मासूमा रानाल्वी ने इस कुप्रथा पर सवाल उठाया है.

इसकी शुरुआत 2015 में तब हुई जब मासूमा अपनी बहनों के साथ बैठकर अपने खतना के बारे में बात कर रही थीं. इससे पहले, इन बहनों ने एक-दूसरे से इस बारे में कभी बात नहीं की थी. मासूमा को लगा कि इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ समाज में आवाज़ उठाने का यही सही समय है, इसलिए उन्होंने इस पर एक ब्लॉग लिख डाला. इसके समर्थन में उन्हें ढेरों ईमेल मिले, जिन्हें देखकर वह हैरान रह गईं.

इस WhatsApp ग्रुप ने उन सभी को एक सुरक्षित और निजी स्थान उपलब्ध कराया.

इसके बाद मासूमा ने “WeSpeakOut against FGM” नाम से WhatsApp ग्रुप तैयार किया, जिसमें उनकी दोनों बहनें और दो अन्य महिलाएँ शामिल थीं. 10 दिन के अंदर-अंदर उस ग्रुप में देश-विदेश से 50 से भी ज़्यादा महिलाएँ शामिल हो गईं, जो अपने साथ हुए खतना के अनुभव को एक-दूसरे के साथ शेयर करने लगीं. इस WhatsApp ग्रुप ने उन सभी को एक सुरक्षित और निजी स्थान उपलब्ध कराया.

मासूमा का कहना है, “इस ग्रुप का हिस्सा बनकर हमें ऐसा लगता है कि हम अपने विचार सबसे सामने रखने के लिए आज़ाद हैं. हम सब एक ही समुदाय के लोग थे, जो अलग-अलग जगहों से इस ग्रुप में जुड़े थे. हम सभी सर्वाइवर थे.”

आज WeSpeakOut एक ऐसा संगठन बन चुका है जिसकी पहुँच बोहरा मुस्लिम समुदाय के हज़ारों लोगों तक है. यहाँ WhatsApp मैसेजेस के ज़रिए सभी लोग अपनी बात खुलकर एक-दूसरे के सामने रखते हैं और चर्चा करते हैं. सोशल मीडिया और वेबसाइट पर इस संगठन की जानकारी दी गई है और समुदाय को जोड़कर रखने के लिए एक्टिविटीज़ भी दी गई हैं. इसका परिणाम यह निकला कि इस प्रथा के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए ऑनलाइन दर्ज की गई याचिका (पेटिशन) पर 1,80,000 से भी ज़्यादा लोगों ने साइन किया. साथ ही, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में खतना के बारे में कम से कम 1,000 स्टोरीज़ छापी गईं.

सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना बिलकुल आसान नहीं था. WeSpeakOut खतना के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है और नई पीढ़ी की महिलाओं को यह जानकारी दे रहा है कि किस तरह अपनी ज़िन्दगी को बदला जा सकता है.


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