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Saathi (साथी)

भारत में हर साल लगभग 1,00,000 टन सैनिटरी पैड्स कचरे में जाते हैं. महिलाओं द्वारा फ़ेंके जाने वाले सैनिटरी पैड्स से लैंडफ़िल में भारी मात्रा में कचरा बढ़ रहा है.

इसलिए अहमदाबाद में कुछ महिलाओं ने Saathi नाम से बिज़नेस की स्थापना की जो कि 100% बायोडिग्रेड होने वाले और ब्लीच मुक्त सैनिटरी पैड्स बनाते हैं. ये आम पैड्स की तुलना में 1,200 गुना तेज़ी से यानि 6 महीने में ही नष्ट हो जाते हैं.

साथी पैड्स की शुरुआत 2015 में हुई जब MIT, हावर्ड और निरमा यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट क्रिस्टीन कागेत्सु, तरुण बोथरा, अमृता सैगल और ग्रेस केन ने साथ मिलकर पर्यावरण के अनुकूल केले के रेशों से कंपोस्ट बनने वाले सैनिटरी नैपकिन बनाने शुरू किए.

तरुण कहते हैं, “हम भारत में महिलाओं को सैनिटरी पैड्स उपलब्ध करवाने के विचार से प्रेरित हुए. हमारा लक्ष्य ऐसे प्रोडक्ट बनाना है जो कि शरीर, पर्यावरण और समुदाय सभी के लिए अच्छे हों.”

Saathi की वेबसाइट से भी पैड्स खरीदे जा सकते हैं और वे गोवा और अहमदाबाद के ईको-फ़्रेंडली रिटेल स्टोर्स में भी उपलब्ध हैं.

“WhatsApp अपनी लोकप्रियता के कारण हमारे लिए बहुत ही मददगार साबित हुआ है”

मार्च 2019 में उन्होंने ग्राहकों से बातचीत के लिए WhatsApp Business ऐप का इस्तेमाल करना शुरू किया और उनके लिए यह बहुत ही मददगार साबित हुआ है. उन्हें 64 प्रतिशत इंक्वाइरी भारत से आती हैं और 14 प्रतिशत इंक्वाइरी विदेश से जो कि प्रोडक्ट खरीदना चाहते हैं या थोक में ऑर्डर देना चाहते हैं.

तरुण कहते हैं, “हमने अपने WhatsApp Business खाते का लिंक अपनी वेबसाइट पर दिया है ताकि ग्राहक किसी भी समय हमसे संपर्क कर सकें, कोई सवाल पूछना हो तो पूछ सकें, मेनस्ट्रुअल साफ़-सफ़ाई के बारे में बात कर सकें या हमें फ़ीडबैक दे सकें.”

ऐप का ‘तुरंत जवाब’ फ़ीचर उन्हें बहुत उपयोगी लगता है क्योंकि वे उसकी मदद से सामान्य सवालों का जवाब तुरंत से दे सकते हैं या लोगों को सही वेबपेज या संपर्क करने के लिए किसी व्यक्ति के बारे में बता सकते हैं.

सह-संस्थापक कहते हैं, “WhatsApp अपनी लोकप्रियता के कारण हमारे लिए बहुत ही मददगार साबित हुआ है.”


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