पैसे की व्यवस्था न होने के चलते हर साल बड़े पैमाने पर कई स्टूडेंट्स को कॉलेज की पढ़ाई छोड़नी पड़ती है.
इसी को ध्यान में रखते हुए मंजीत सिंह, आशुतोष बर्नवाल और राज किशोर ने 2016 में ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म Buddy4Study की शुरुआत की जो स्टूडेंट्स के प्रोफ़ाइल के अनुसार स्कॉलरशिप या ग्रांट दिलाने में उनकी मदद करते हैं. मंजीत बताते हैं, “दुख की बात यह है कि करोड़ों रुपयों के सरकारी और निजी स्कॉलरशिप फ़ंड ज़रूरतमंदों तक पहुँच नहीं पाते हैं क्योंकि स्टूडेंट्स को उनके बारे में पता ही नहीं होता है. साथ ही, स्कॉलरशिप फ़ंड बाँटने में ईमानदारी और कामकाजी दक्षता का भी अभाव है. हमें लगा कि इस क्षेत्र में काफ़ी सुधार की गुंजाइश है.”
Buddy4Study स्टूडेंट्स और स्कॉलरशिप और ग्रांट का मिलान करने के लिए AI (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) का इस्तेमाल करते हैं और अपने 20 लाख से ज़्यादा यूज़र्स को अपडेट और अलर्ट भी भेजते हैं. वे कॉर्पोरेशन, NGO, सरकारी एजेंसियों, सरकारी कंपनियों और लोगों की स्कॉलरशिप प्रोग्राम डिज़ाइल, लॉन्च, मैनेज और ट्रैक करने में मदद भी करते हैं. इसके अलावा कंपनी ने बाहर की युनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप के लिए पार्टनरशिप भी की है.
मंजीत बताते हैं, “चूंकि हमारा टार्गेट ग्रुप 14-35 साल के बीच के लोगों का है, इसलिए हम उन तक पहुँचने और उनसे बातचीत करने के लिए WhatsApp Business ऐप का इस्तेमाल करते हैं. इस उम्र के लोगों के बीच WhatsApp सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है. इससे नए यूज़र का ऑनबोर्डिंग आसान और बिना किसी परेशानी के हो जाता है.”
चूंकि स्कॉलरशिप की ऐप्लिकेशन भरने में बहुत समय लगता है, सबसे बड़ी चुनौती होती है यह सुनिश्चित करना कि स्टूडेंट्स के पास ज़रूरी जानकारी समय से पहुँच जाए.
मंजीत बताते हैं, “WhatsApp Business ऐप के माध्यम से हम ऐसा कर सकते हैं. WhatsApp Business ऐप का इस्तेमाल शुरू करने के बाद से स्टूडेंट्स से बातचीत करने की क्षमता में 25 प्रतिशत से ज़्यादा और स्टूडेंट्स को जोड़ने में 20 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है. इसकी लागत कम है जिससे हमारे जैसे बिज़नेस के लिए यह और भी बेहतर हो जाता है.”
जैसे-जैसे इनके यूज़र बढ़ते जा रहे हैं, Buddy4Study लगातार इनके साथ काम कर रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी स्टूडेंट का कॉलेज में पढ़ने का सपना न टूटे.